Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -20-Jul-2023

#विषय:- स्वैच्छिक
#शीर्षक:- आँखें बरसती जा रही है

आज तेरे शहर में क्या आये,
साथ याद,
हर बात,
मेरे साथ चल पड़ी,
दूर-दूर तक तू न दिखा,
पर ,
तेरे जैसी तेरी परछाई,
साथ चल रही!
मचल रहा पागल मन,
तरसी आँखें सोचती,
हो जाए दर्शन !
भटक रहा मन दर-बदर,
कहाँ से पाऊँ,
उस जैसा दर्पण!
ख़ामोश ज़ुबाँ,
मन को समझा रही है,
प्यार नहीं था कभी
उसके दिल में,
मैं दिल को,
बड़े प्यार से समझा रही हूँ,
पर,
पागल आँखें बरसती जा रहीं है!
तेरे शहर की हर गली,
मुझसे बस यह
पूँछ रही है,
तू अकेली क्यूँ चल रही है????
तेरा प्यार कहाँ है |

रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है|

"प्रतिभा पाण्डेय" चेन्नई
20/7/2023

   6
2 Comments

Abhinav ji

21-Jul-2023 08:57 AM

Very nice 👍

Reply

Gunjan Kamal

20-Jul-2023 10:58 PM

बहुत खूब

Reply